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Sengol || आखिर क्या है सेंगोल जिसे मोदी सरकार स्थापित करेगी संसद भवन में

Sengol (सेंगोल) शब्द तमिल भाषा के सेममई से निकला हुआ शब्द है आज कल इस समय यह बहुत चर्चा में है आखिर इसके पीछे कारण क्या है। सेंगोल के बारे में सभी जानकारी के लिए इस पूरे आर्टिकल को पढ़े।

सेंगोल क्या है ?

सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। जवाहर लाल नेहरू ने इसे तमिलनाडु की जनता से 14 अगस्त 1947 से स्वीकार किया था। इसे लार्ड मौन्टबटैन ने अंग्रेज़ो से जब सत्ता भारतीय सरकार को दी गयी थी तो मौन्टबटैन ने दिया था ये सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। आज कल यह फिर चर्चा में है क्योकि नए संसद भवन में इसको फिर रखा जाएगा।

सेंगोल कब स्थापित किया जाएगा ?

मोदी सरकार जल्द ही देश को नए संसद भवन के रूप में देशवासियो को शौगात देने जा रही है। पुराना संसद भवन अंग्रेज़ो के द्वारा बनाया गया था इसमें सांसद लोगो के खड़ा होने का काम जगह था और इसमें बैठनेकी व्यस्था भी कम थी लेकिन नए संसद भवन में 884 सांसद के बैठने की व्यस्था है। इसमें राज्य सभा के सांसद के भी बैठने की व्यस्था है इसमें बनाने में लागग 1200 करोड़ के करीब खर्चा आया है। लेकिन विपक्षु पार्टियों के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है क्योकि इसमें भारत की राष्ट्रपति महोदया को उद्घाटन के लिए बुलाया नहीं गया है इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खुद उद्घाटन किया जाएगा। जिसे लेकर करीब १३ विपक्षी पार्टियों ने इस उद्घाटन समारोह में भाग लेने में मना कर दिया है। जिसमे राजद,कांग्रेस,शिवसेना,नितीश कुमार की पार्टी,स्टालिन,तेलंगाना की चन्द्रसेखर सरकार,केजरीवाल सरकार ने इस उद्धघाटन से दूरी बनाई है। उनका कहना है की देश के सबसे बड़ा मतलब संसद की सबसे बड़ा पद राष्ट्रपति का होता है इसलिए इसका उद्घाटन राष्ट्रपति महोदय द्वारा किया जाए। उनका कहना है की मोदी सरकार आदिवासी होने के कारण उनको उद्घाटन में बुला नहीं रही है और वे सब पार्टी कह रही है की सक सत विरोधी मोदी सरकार है। लेकिन भाजपा ने कहा की छत्तीसगढ़ की सरकार ने भी वहा की राज्यपाल को भी नहीं बुलाया था।

गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा ?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक सेंगोल (राजदंड) की प्रथा को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा की अंग्रेज़ो से भारतीय को सत्ता को हस्तांतरण करने का ये प्रतीक था। शाह ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी इसे सबसे पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे। और नए संसद भवन में स्थापित करेंग। सेंगोल स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा। इसका अपना महत्त्व है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा की ” इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। उन्होंने कहा की संसद भवन से पवित्र स्थान सेंगोल का कही नहीं हो सकता है।

सेंगोल का इतिहास क्या है ?

सेंगोल तमिल शब्द सेममई शब्द से बना है जिसका मतलब धर्म,सच्चाई,ईमानदारी,कर्त्यानिष्ठा होती है। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतिक हुआ करता था। गृह मंत्री ने बताया की सेंगोल को १४ अगस्त १९४७ को जवाहर लाल नेहरू ने १०;४५ बजे तमिलनाडु की जनता से स्वीकार किया था। इसे इससे पहले इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था लेकिन अब इसे नए संसद भवन में स्पीकर के कुर्सी के समीप रखा जाएगा। ये सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था।उन्होंने कहा की ये जिसे दिया जाता है उससे निष्पक्ष और न्यायप्रिय शासन की अपेक्षा की जाती है। भारत की स्वतंत्रता के समय इसे जब अंग्रेज़ो से प्राप्त हुआ था तो पूरे विश्व की मीडिया ने इसे कवर किया था।

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सेंगोल कहा स्थापित किया जाएगा

सेंगोल नए संसद भवन में स्पीकर के कुर्सी के नज़दीक रखा जाएगा।

सेंगोल क्या है?

सेंगोल अंग्रेज़ो द्वारा भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। इसे 28 मई को नए संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रखा जाएगा। chenkol parliament

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