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राजस्थान के जयपुर जिले की बस्सी निवासिनी दिशा पढ़ाई के दौरान ही डाक्टर बनने का सपना देख रही थी, डाक्टर बनने के लिए वह नीट परीक्षा की तैयारी में पूरे परिश्रम से जुटी हुई थी। लेकिन चाय की एक प्याली से दिशा का डाक्टर बनने का सपना एक झटके में ही टूट गया। इसके बाद से उसका पूरा परिवार सदमे में है।
आखिर क्या हुआ उस दिन दिशा के साथ ?
जयपुर की बस्सी निवासिनी दिशा बचपन से ही डाक्टर बनने का सपना देख रही थी। इसके लिए वह पूरे मन से नीट परीक्षा की तैयारी में लगी हुई थी। दिशा काफी मेधावी रही। उसका हाईस्कूल में 94 प्रतिशत और इण्टरमीडिएट में 99 प्रतिशत अंक रहा वही साइंस में 100 मार्क रहे। इससे प्रतीत होता है कि वह कितनी मेधावी रही। दिशा इससे उत्साहित होकर दिन रात एक कर नीट परीक्षा को क्रैक करने में जुटी रही। पहले वर्ष वह नीट की परीक्षा में भाग ली तो उसे अच्छा अंक प्राप्त हुआ लेकिन वह एमबीबीएस बनने से चूक गई। परिवार के लोगों ने समझाया कि जो मिल रहा है, उसे ही ले लो उस परीक्षा के दौरान उसे बीडीएस, वेटेनरी, नर्सिंग मिल रहा था। लेकिन दिशा अपने लक्ष्य को लेकर काफी आश्वस्त रही कि इस बार उसका चयन हो जाएगा। लेकिन एक झटके में चाय की एक प्याली ने उसके सपने को चकनाचूर कर रख दिया।
नीट परीक्षा के ओएमआर सीट पर गिरी चाय, उस स्कूल का विवरण
जयपुर के रामनगरिया स्थित विवेक टैक्नो स्कूल पर 7 मई को दिशा का नीट परीक्षा का सेन्टर आया। परीक्षा कक्ष में दिशा के हाथ में प्रश्नपत्र और ओएमआर सीट आ गई। सभी बच्चे पेपर पढ़ कर अपनी परीक्षा की तैयारी का मूल्यांकन कर रहे थे। दिशा बताती है कि मैं बहुत खुश थी कि तैयारी के अनुरूप ही परीक्षा में प्रश्न पूछे गये है। वह पूरे ध्यान से प्रश्नपत्र को पढ़ कर अपनी ओएमआर सीट को भरने में लगी हुई थी। इसी दौरान परीक्षा कक्ष में ड्यूटी कर रहे कक्ष निरीक्षक हाथ में चाय की प्याली लेकर चाय पीते हुए निरीक्षण कर रहे थे कि उनके हाथ से चाय की प्याली छूट गयी और दिशा के ओएमआर सीट पर गिर गयी। एक झटके में दिशा हिल गयी। क्यंूकि चाय गिरने से उसकी पूरी ओएमआर सीट के साथ ही टेबल भी खराब हो गयी थी। परीक्षा के सख्त नियम के कारण वहां पर ओएमआर सीट साफ करने के लिए उसके पास उसका मास्क ही था, वह अपने मास्क से हड़बड़ाहट में ओएमआर सीट साफ करने लगी। साफ करने के दौरान कई प्रश्नों के उत्तर भी ओएमआर सीट से मिट गए, तथा इस कार्य में काफी समय बर्बाद हो गया। उसने कक्ष निरीक्षक से शिकायत किया तो कक्ष निरीक्षक ने अतिरिक्त समय देने को कहा। लेकिन परीक्षा समाप्त होते ही कक्ष निरीक्षक ने अन्य छात्रों के साथ ही ओएमआर सीट दिशा से भी ले लिया। उस समय तक भी 17 प्रश्न दिशा को आ रहा था, लेकिन समय की कमी के कारण वह याद प्रश्नों को भी हल नही कर सकी। कक्ष निरीक्षक की एक गलती से दिशा के अरमानों पर पानी फिर गया।
इसकी शिकायत तुरंत दिशा ने वहां के प्रधानाचार्य से किया। लेकिन उन्होंने भी दिशा को बैलेंस करने की कोशिश की। दिशा ने इस घटना की जानकारी पुलिस प्रशासन से की। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस के सामने भी कोई हल नहीं निकला। दिशा अपने सपने को चकनाचूर होते देख स्कूल कैपस से आंखों में आंसू लिए घर के लिए निकली। इसमें उसका कोई दोष नही रहा। लेकिन रास्ते में जाते समय वह स्थानीय पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज करानी चाहीं लेकिन वहां से भी कोई हल निकलता नहीं दिखा। अंत में थक हारकर दिशा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगायी है। हाईकोर्ट ने परीक्षा एजेंसी एनटीए तथा विद्यालय प्रशासन को तलब किया है। यहां से दिशा को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है।
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